¸.•*➷.•❤•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•❤•..¸.•*➷
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.¸.•*➷.•❤•.॥श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारे॥.•❤•..¸.•*➷
.¸.•*➷.•❤•.॥हे नाथ, नारायण, वासुदेव॥.•❤•..¸.•*➷
.¸.•*➷.•❤•.॥हे नाथ, नारायण, वासुदेव॥.•❤•..¸.•*➷
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.•❤•.॥श्री कृष्ण॥.•❤•.
✾हे प्रभो! आप सभी के मन को आकर्षित करनेवाले है
आप मेरा मन भी अपनी और आकर्षित कर
अपनी भक्ति सेवा में सुदृढ़ कीजिये॥.•❤•.
आप मेरा मन भी अपनी और आकर्षित कर
अपनी भक्ति सेवा में सुदृढ़ कीजिये॥.•❤•.
.¸.•*➷.•❤•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•❤•..¸.•*➷
.•❤•.॥गोविन्द॥.•❤•.
✾गौओ तथा इन्द्रियों की रक्षा करने वाले श्री भगवन
मेरी इन्द्रियों की रक्षा करने वाले भगवन
आप मेरी इन्द्रियों को स्वयं में लींन करें॥.•❤•.
मेरी इन्द्रियों की रक्षा करने वाले भगवन
आप मेरी इन्द्रियों को स्वयं में लींन करें॥.•❤•.
.¸.•*➷.•❤•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•❤•..¸.•*➷
.•❤•.॥हरे॥.•❤•.
✾हे दुखहर्ता ! मेरे दुखों का भी हरण करें॥.•❤•.
.¸.•*➷.•❤•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•❤•..¸.•*➷
.•❤•.॥मुरारे॥.•❤•.
✾हे! मुर राक्षस केशत्रु मुझमे बसे हुए
काम-क्रोधादि रुपी राक्षस का नाश कीजिये॥.•❤•.
काम-क्रोधादि रुपी राक्षस का नाश कीजिये॥.•❤•.
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.¸.•*➷.•❤•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•❤•..¸.•*➷
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.•❤•.॥हे नाथ॥.•❤•.
✾आप नाथ है, और मैं अनाथ हूँ,
मुझ अनाथ का भाव हमेशा आप से जुडा रहे॥.•❤•.
मुझ अनाथ का भाव हमेशा आप से जुडा रहे॥.•❤•.
.¸.•*➷.•❤•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•❤•..¸.•*➷
.•❤•.॥नारायण॥.•❤•.
✾मैं नर हूँ ,और आप नारायण है,
आपको प्राप्त करने के लिए आपके आदर्श पर
मैं तपस्या में रत रहू॥.•❤•.
आपको प्राप्त करने के लिए आपके आदर्श पर
मैं तपस्या में रत रहू॥.•❤•.
.¸.•*➷.•❤•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•❤•..¸.•*➷
.•❤•.॥वासुदेव॥.•❤•.
✾वसु का अर्थ है प्राण, मेरे प्राणों की रक्षा करें,
मैंने अपना मन आपके चरणों में अर्पित कर दिया है॥.•❤•.
मैंने अपना मन आपके चरणों में अर्पित कर दिया है॥.•❤•.
✾¸.•*➷.•❤•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•❤•..¸.•*➷
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.¸.•*➷.•❤•.॥श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारे॥.•❤•..¸.•*➷
.¸.•*➷.•❤•.॥हे नाथ, नारायण, वासुदेव॥.•❤•..¸.•*➷
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.¸.•*➷.•❤•.॥हे नाथ, नारायण, वासुदेव॥.•❤•..¸.•*➷
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