Saturday, January 31, 2015

.•❤•.॥श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारे॥.•❤•.

¸.•*.••.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:.••..¸.•*
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.¸.•*.••.॥श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारे॥.••..¸.•*
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.••.॥हे नाथ, नारायण, वासुदेव॥.••..¸.•*
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.••.॥श्री कृष्ण॥.••.
हे प्रभो! आप सभी के मन को आकर्षित करनेवाले है
आप मेरा मन भी अपनी और आकर्षित कर
अपनी भक्ति सेवा में सुदृढ़ कीजिये॥.••.
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.••.॥गोविन्द॥.••.
गौओ तथा इन्द्रियों की रक्षा करने वाले श्री भगवन
मेरी इन्द्रियों की रक्षा करने वाले भगवन
आप मेरी इन्द्रियों को स्वयं में लींन करें॥.••.
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.••.॥हरे॥.••.
हे दुखहर्ता ! मेरे दुखों का भी हरण करें॥.••.
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.••.॥मुरारे॥.••.
हे! मुर राक्षस केशत्रु मुझमे बसे हुए
काम-क्रोधादि रुपी राक्षस का नाश कीजिये॥.••.

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.••.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:.••..¸.•*
.••.॥हे नाथ॥.••.
आप नाथ है, और मैं अनाथ हूँ,
मुझ अनाथ का भाव हमेशा आप से जुडा रहे॥.••.
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.••.॥नारायण॥.••.
मैं नर हूँ ,और आप नारायण है,
आपको प्राप्त करने के लिए आपके आदर्श पर
मैं तपस्या में रत रहू॥.••.
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.••.॥वासुदेव॥.••.
वसु का अर्थ है प्राण, मेरे प्राणों की रक्षा करें,
मैंने अपना मन आपके चरणों में अर्पित कर दिया है॥.••.
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.¸.•*.••.॥श्री कृष्ण गोविन्द, हरे मुरारे॥.••..¸.•*
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.••.॥हे नाथ, नारायण, वासुदेव॥.••..¸.•*
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