…(\_/)..¨..๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑…(\_/)..¨..๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑
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̴̡ı̴̡ ̡͌l̡๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑…̴̡ı̴̡c(”)(”)̡
̴̡ı̴̡ ̡͌l̡๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑
…(\_/)..¨॥भये
प्रगट गोपाला दीन दयाला यसुमती के हितकारी॥.•♥•.
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..हर्षित महतारी रूप निहारी मोहन मदन मुरारी॥…(\_/)..
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̴̡ı̴̡ ̡͌l̡कंसासुर जाना
मन अनुमाना पूतना बेग पठाई॥… ( . .) ..
…(\_/)..¨तेहि
हर्षित धाई मन मुस्काई गयी जहाँ यदुराई॥..ı̴̡c(”)(”)̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
… ( . .)
..सोई जाई उठायी ह्रदय लगाई पयघर मुख महँ दीन्हा॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
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̴̡ı̴̡ ̡͌l̡तब कृष्ण
कन्हाई मन मुस्काई प्राण तास हरि लीन्हा॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
…(\_/)..¨जब इन्द्र रिसाये मेघ बुलाये बस कर ताहि मुरारी॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
…(\_/)..¨जब इन्द्र रिसाये मेघ बुलाये बस कर ताहि मुरारी॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
.… ( . .) गौअन हितकारी सुर मुनि सुखकारी नख पर गिरवर धारी॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
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̴̡ı̴̡ ̡͌l̡कंसासुर मारो
अति हंकारी वत्सासुर संहारी॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
…(\_/)..¨बकासुर
आयो बहुत डरायो ताको बदन बिदारी॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
… ( . .) तेहि दीन जान प्रभु चक्रपाणि ताहिदीनो है निज लोका॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
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̴̡ı̴̡ ̡͌l̡ब्रम्हा सुर
आयो बहु सुख पायो, बिगत भयो सबशोका॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
…(\_/).......¨यह
छंद अनूपा है रस रूपा, जो नर याको गावैं॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
… ( . .) तेहि सम नहिं कोई, त्रिभुवन सोई मनवाँछित फल पावैं॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•.
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̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡▬॥ दोहा
॥▬ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•.
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̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡नन्द यशोदा
तप कियो, मोहन से मन लाय॥ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•.
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̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•.
̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡देखो चाहत
बाल सुख, रही कछुक दिन जाय॥ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•.
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̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•.
̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡जो नक्षत्र
मोहन भये, सो नक्षत्र, पर आय॥ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•.
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̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•.
̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡चारू बँधाये
रीतिसब, करन यशोदा माय॥ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•.
̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
…(\_/)..¨..๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑…(\_/)..¨..๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑
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̴̡ı̴̡ ̡͌l̡๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑…̴̡ı̴̡c(”)(”)̡
̴̡ı̴̡ ̡͌l̡๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑
…(\_/)..¨॥श्री
कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय॥
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`*.¸.(♥)╬♥═╬▬.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.
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̡͌l̡*̡̡ ̴̡ ..•╬♥═╬▬.•♥•.♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.
||जय श्री राधे||
ReplyDeleteकितना सुन्दर पेज बनाया है आपने ? बहुत सुंदरर
॥श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय॥
ReplyDelete*कितने कमज़ोर हैं ये गुब्बारे🎈🎈*
ReplyDelete*चन्द साँसों से फूल जाते हैं.....*
*और जरा सी बुलन्दी पाकर*
*अपनी हैसियत भूल जाते हैं.....*
*हम भी इन्ही गुबारो के जैसे हैं,*
*हम मिटटी के पुतले हैं और हमे भी चंद साँसे मिलती हैं,*
*जीवन में और उन चंद सांसो में हम अपनी हैसियत भूल जाते हैं कि हमे एक दिन फिर इसी*
*मिटटी में मिटटी होना हैं...*
*ना कर मानस मेरी मेरी,*
*बन जाना हैं एक दिन मिटटी की ढेरी ।।*⚡
*🌹🌹 राधे 👣 राधे 🌹🌹*भए प्रगट गोपाला दीनदयाला जसुमति के हितकारी