Sunday, August 19, 2012

.•♥•.भये प्रगट गोपाला!!.•♥•.



…(\_/)..¨..๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑…(\_/)..¨..๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑
… ( . .) `*.๑.๑▬๑۩۩๑▬๑.๑..( . .) `*.๑.๑▬๑۩۩๑▬๑.๑
…̴̡ı̴̡c(”)(”)̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑…̴̡ı̴̡c(”)(”)̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑
…(\_/)..¨॥भये प्रगट गोपाला दीन दयाला यसुमती के हितकारी॥.•♥•.
 ( . .) ..हर्षित महतारी रूप निहारी मोहन मदन मुरारी॥…(\_/)..
..ı̴̡c(”)(”)̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡कंसासुर जाना मन अनुमाना पूतना बेग पठाई॥… ( . .) ..
…(\_/)..¨तेहि हर्षित धाई मन मुस्काई गयी जहाँ यदुराई॥..ı̴̡c(”)(”)̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
… ( . .) ..सोई जाई उठायी ह्रदय लगाई पयघर मुख महँ दीन्हा॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
..ı̴̡c(”)(”)̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡तब कृष्ण कन्हाई मन मुस्काई प्राण तास हरि लीन्हा॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡ 
…(\_/)..¨जब इन्द्र रिसाये मेघ बुलाये बस कर ताहि मुरारी॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡
͌l̡*̡̡
.… ( . .) गौअन हितकारी सुर मुनि सुखकारी नख पर गिरवर धारी॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
..ı̴̡c(”)(”)̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡कंसासुर मारो अति हंकारी वत्सासुर संहारी॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
…(\_/)..¨बकासुर आयो बहुत डरायो ताको बदन बिदारी॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
… ( . .) तेहि दीन जान प्रभु चक्रपाणि ताहिदीनो है निज लोका॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
..ı̴̡c(”)(”)̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡ब्रम्हा सुर आयो बहु सुख पायो, बिगत भयो सबशोका॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
…(\_/).......¨यह छंद अनूपा है रस रूपा, जो नर याको गावैं॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
… ( . .) तेहि सम नहिं कोई, त्रिभुवन सोई मनवाँछित फल पावैं॥.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡▬॥ दोहा ॥▬ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡नन्द यशोदा तप कियो, मोहन से मन लाय॥ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡देखो चाहत बाल सुख, रही कछुक दिन जाय॥ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡जो नक्षत्र मोहन भये, सो नक्षत्र, पर आय॥ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡चारू बँधाये रीतिसब, करन यशोदा माय॥ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡.•♥•. ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡
…(\_/)..¨..๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑…(\_/)..¨..๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑
… ( . .) `*.๑.๑▬๑۩۩๑▬๑.๑..( . .) `*.๑.๑▬๑۩۩๑▬๑.๑
…̴̡ı̴̡c(”)(”)̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑…̴̡ı̴̡c(”)(”)̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡๑▬ஜ۩۞۩ஜ▬๑

…(\_/)..¨॥श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय॥
… ( . .) `*.¸.(♥)╬♥═╬▬.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.
…̴̡ı̴̡c(”)(”)̡ ̴̡ı̴̡ ̡͌l̡*̡̡ ̴̡ ..•╬♥═╬▬.•♥•.♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.




3 comments:

  1. ||जय श्री राधे||
    कितना सुन्दर पेज बनाया है आपने ? बहुत सुंदरर

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  2. ॥श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय॥

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  3. *कितने कमज़ोर हैं ये गुब्बारे🎈🎈*
    *चन्द साँसों से फूल जाते हैं.....*
    *और जरा सी बुलन्दी पाकर*
    *अपनी हैसियत भूल जाते हैं.....*

    *हम भी इन्ही गुबारो के जैसे हैं,*
    *हम मिटटी के पुतले हैं और हमे भी चंद साँसे मिलती हैं,*
    *जीवन में और उन चंद सांसो में हम अपनी हैसियत भूल जाते हैं कि हमे एक दिन फिर इसी*
    *मिटटी में मिटटी होना हैं...*

    *ना कर मानस मेरी मेरी,*
    *बन जाना हैं एक दिन मिटटी की ढेरी ।।*⚡

    *🌹🌹 राधे 👣 राधे 🌹🌹*भए प्रगट गोपाला दीनदयाला जसुमति के हितकारी

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