Thursday, October 17, 2013

✽.•♥•.मीरा के प्रभु हरि अबिनासी .•♥•.✽

✽.•♥•.तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर।.•♥•.✽
◥♥◣✽.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.✽◥♥◣

✽.•♥•.हम चितवत तुम चितवत नाहीं.•♥•.✽
◥♥◣✽.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.✽◥♥◣

✽.•♥•.मन के बड़े कठोर।.•♥•.✽
◥♥◣✽.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.✽◥♥◣

✽.•♥•.मेरे आसा चितनि तुम्हरी.•♥•.✽ 
◥♥◣✽.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.✽◥♥◣

✽.•♥•.और न दूजी ठौर।.•♥•.✽
◥♥◣✽.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.✽◥♥◣

✽.•♥•.तुमसे हमकूँ एक हो जी .•♥•.✽
◥♥◣✽.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.✽◥♥◣

✽.•♥•.हम-सी लाख करोर॥.•◥♥◣✽
◥♥◣✽.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.✽◥♥◣

✽.•♥•.कब की ठाड़ी अरज करत हूँ.•♥•.✽
◥♥◣✽.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.✽◥♥◣

✽.•♥•.अरज करत भै भोर।.•♥•.✽
◥♥◣✽.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.✽◥♥◣

✽.•♥•.मीरा के प्रभु हरि अबिनासी .•♥•.✽
◥♥◣✽.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.✽◥♥◣


✽.•♥•.देस्यूँ प्राण अकोर॥.•♥•.✽
◥♥◣✽.•♥•.॥श्री कृष्ण: शरणम् मम:॥.•♥•.✽◥♥◣

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